what is happiness (आनंद क्या है )
आनंद क्या है | इसका विवरण देना एक सांसारिक व्यक्ति के लिए बहुत कठिन है | क्यूंकि संसार से ऊपर उठ कर ही आनंद की प्राप्ति होती है | जब मनुष्य इस मायावी संसार की माया को समझ लेता है | 'अध्यात्म' जिसका सही विवरण किसी किताब में आज तक नहीं लिखा जा सका | जो भी ग्रन्थ लिखे गए वो सांसारिक बंधन और मोहमाया के जाल में लोगों के लिए सही हैं क्यूंकि उन्हें सभी ज्ञान इन्हीं ग्रंथों से प्राप्त होते हैं |
जो ऋषि संसार से ऊपर ब्रह्माण्ड तक पहुँच गए उन्हें सही आनंद का अनुभव हुआ | परन्तु सांसारिक लोगों को स्वानुभूति नहीं हो पाती और वो भ्रम जाल में घिरे रहते हैं | जहाँ भी जैसा ज्ञान मिला उसी को ग्रहण करते रहते हैं | परन्तु सही दिशा में नहीं पहुँच पाते हैं |
संसार कष्ट से घिरा हुआ है भौतिक जीवन कष्ट भरा ही होता है | यह बात मनुष्य नहीं सोच पाता | किसी को कोई सुख मिल गया तो वो अपने को भाग्यशाली समझ लेता है परन्तु मनुष्य यह भूल जाता है कि वह संसार में जन्म भी कष्ट पाकर लेता है और मृत्यु भी कष्ट पाकर ही होती है | पूरा जीवन ही सुख की चाहत में बीत जाता है और अंत में मृत्यु के समय बहुत दुःखी होता है | अज्ञानता वश वो यही सोचता है कि अब इस जन्म में सुख नहीं मिला तो अगले जन्म में मिल जायेगा | जबकि सत्य यही है कि कितने भी जन्म धरती पर ले ले | परन्तु आनंद तभी प्राप्त होता है जब ब्रह्म लीन हो जाता है | यानि एकमात्र ईश्वर में एकाकार हो जाता है |
मनुष्य ही नहीं देव लोक में रहने वाले देवता भी , यक्ष यक्षिणी , अप्सरा , प्रेत इत्यादि लोकों में रहने वाले भी उस ईश्वर में एकाकार होने के लिए लालायित रहते हैं और उस परम आनंद को पाने की इच्छा रखते हैं | मनुष्य जीवन इसलिए श्रेष्ठ माना गया है क्यूंकि मनुष्य के पास सभी वो क्षमताएं होती हैं जिनके द्वारा वह परम आनंद को प्राप्त कर सकता है | परन्तु वह संसार में माया मोह में फंस कर तुच्छ आनंद को ही सच्चा आनंद मान लेता है | और सच्चे आनंद प्राप्त करने से वंचित रह जाता है |
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