Friday, August 11, 2017

sadness and boring (उदासी और बोरियत )

 


उदासी और बोरियत आज के समय में आम बात हो चुकी है | क्यूंकि मनुष्य अपने जीवन के उद्देश्य से दूर हो चुका है | ज्यादातर मनुष्य यही सोचता है कि वो सिर्फ एक इंसान है और इसी बात को सच मान कर चलता है | कुछ लोग यही सोच कर उदास रहते हैं कि सारा जीवन मेहनत करने में बीत गया सुख और आराम तो मिला ही नहीं | कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें कोई मनोरंजन करने का साधन नहीं मिलता तो वो बोर होने लगते हैं | 


आधुनिक युग में इंसान आनंदित जीवन से दूर होता जा रहा है | एक दूसरे का ख्याल न रखते हुए सिर्फ अपने सुख में ज्यादा मगन रहता है | यही कारन है कि मनुष्य अब ज्यादा उदास और चिड़चिड़ा हो गया है | कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो बुजुर्ग अवस्था तक पहुँचते - पहुँचते ये भूल जाते हैं कि वो भी कभी गलतियां किया करते थे और धीरे-धीरे ही समझदारी आयी है | नयी पीढ़ी को पीछे की ओर वापस खींचने का प्रयास करते हैं | जबकि समय और हालात को देखते हुए नयी पीढ़ी में बदलाव आये हैं परन्तु पुरानी पीढ़ी नयी पीढ़ी के हालात को नहीं समझ पाती और यही स्थिति विवाद और क्लेश का कारन बनती है | और ये छोटा सा जीवन सुकून भरा नहीं रह जाता अवसाद भरा बन जाता है | सोचने वाली बात है कि ज्यादा तर जीवन उदासियों में बीत जाता है | 


हर व्यक्ति जानता है कि एक न एक दिन मृत्यु होनी है और संसार के सभी रिश्ते टूट जायेंगे हमेशा के लिए फिर भी वो सारा जीवन एक दूसरे को कष्ट देने में बिता देता है  | कई बार अहंकार में आकर किसी का अपमान भी कर देता है | मनुष्य कभी यह नहीं सोचता कि उसने संसार में आने के बाद कितने लोगों को ख़ुशी दी है | 



ज्यादातर अपने सुख की खातिर दूसरे व्यक्ति को दुःख ही पहुँचाया है | आज भारत ही नहीं पूरे विश्व में कई ऐतिहासिक किले बने हुए हैं क्या इन्हें बनाने वाले जीवित हैं | भारत में सदियों से बाहरी देशों से लुटेरे लूट के उद्देश्य से आक्रमण करते रहे और आज उनमें से कोई भी जीवित नहीं | क्या इन लुटेरों ने इतना विचार किया कि जिस लालच को पूरा करने के लिए वो लूटमार मचाते रहे | क्या अब उसका कोई फायदा हुआ | अल्प समय के जीवन में वो अपना समय बर्बाद करके चले गए | पृथ्वी पर जन्म लेकर आत्मा सब कुछ पृथ्वी पर ही छोड़ कर चली जाती है | मनुष्य का शरीर वापस मिट्टी में समा जाता है | महल भी खण्डहर बन कर मिटटी में मिल जाते हैं |  


मनुष्य का शरीर जब तक मेहनत करता रहता है तब तक शरीर स्वस्थ रहता है | जब मेहनत करना बंद कर देता है तब शरीर मिट्टी के समान  बेजान होना शुरू हो जाता है | तो समझने की बात ये है कि जब तक जीवन जिओ मिल जुल कर खुशियां बाँट कर  जिओ | क्यूंकि सदा के लिए कोई नहीं रहता सिर्फ पृथ्वी ही रह जाती | मिट्टी से बने हुए पुतले एक दिन मिट्टी ही बन जाते हैं | इसलिए निरर्थक जीवन नहीं जीना है | सार्थक जीवन जीना है | उदाहरण के तौर पर एक आम का पेड़ लगाएं और कल्पना करें कि उस आम के पेड़ से बहुत सारे पके आम गिर रहे हैं और लोग बड़े आनंद के साथ खा रहे हैं | तो यही सार्थक जीवन कहलाता है | क्यूंकि आम खाने वाले लोगों को जो आनंद प्राप्त हुआ उसका श्रेय पेड़ लगाने वाले को प्राप्त होता है | जीवन अनमोल है इसका प्रयोग कल्याणकारी कार्यों में किया जाये तो बोरियत और उदासी कभी नहीं होती | 

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