puja and fast
पूजा पाठ और व्रत
हिंदुत्व में पूजा -पाठ और व्रत के विधान बताये गए हैं | परन्तु क्या लोगों को इसके विषय में सही जानकारी है ? भौतिक संसार में जीवन अनेकों कठिनाइयों से भरा हुआ होता है | क्या सभी मनुष्य पूजा पाठ के लिए समय निकाल पाते हैं ? या वो लोग जो बीमार होते हैं क्या वो लोग पूजा पाठ और व्रत रख पाते हैं ? और यदि नहीं कर पाते तो ऐसे लोग ईश्वर से दूर होते हैं क्या ? क्या उन लोगों को ईश्वर की कृपा प्राप्त नहीं होती ?
कई सवाल लोगों के मन में आते हैं | ईश्वर की भक्ति का कोई विशेष विधान नहीं है | जिसको जिस तरह से ईश्वर की भक्ति करना पसंद होता है वह उसी तरीके से कर सकता है | ईश्वर कष्ट भोग कर पूजा करने वाले इंसान से प्रसन्न नहीं होते | वो सिर्फ इंसान की भावनाओं से प्रसन्न होते हैं | ईश्वर के प्रति प्रेम है और मन हि मन ईश्वर को याद करने से वो प्रसन्न होते हैं |
अक्सर देखा जाता है कि महिलाएं जो किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त होती है और उन्हें थकान भी भरी होती है | ऐसी महिलाएं सुबह के समय पूजा नहीं कर पातीं तो वह दोपहर या शाम तक पूजा करती हैं और तब तक भूखी रहती हैं और पूजा करने के बाद ही खाना खाती हैं | चिकित्सक की सलाह के अनुसार सुबह नाश्ता समयानुसार करना चाहिए परन्तु महिलाएं नाश्ता और दोपहर का खाना भी नहीं खातीं और दिनों दिन रोग का शिकार बन जाती हैं | उनके मन में यह विचार रहता है कि भगवान जब तक भूखे बैठे हैं तब तक वो खाना नहीं खाएंगी | जबकि भगवान एक बहुत बड़ी शक्ति हैं उनके प्रति दिल में प्रेम ही काफी है | ईश्वर के प्रति भय की भावना नहीं रखना चाहिए | मानव शरीर भौतिक तत्व से बना हुआ होने के कारण कष्टप्रद है इसलिए ईश्वर ने मनुष्य को किसी ऐसे बंधन में नहीं बांधा है | जिस से मनुष्य को कोई कष्ट हो | पूजा पाठ से सम्बंधित कई पाखंड मनुष्यों ने स्वयं बनाये हैं लोगों को भय दिखा कर उन भ्रामक नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है जिसको करने से मनुष्य और भी परेशानी भरा जीवन जीता है | संसार में सिर्फ अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा जोखा चलता है |
जब कोई मनुष्य विपत्ति में होता है तो वह मंदिर जाता है और भगवान् से प्रार्थना करता है | तो भगवान भी उसके द्वारा किये गए अच्छे कर्मों का हिसाब निकाल कर सहायता करते हैं | यदि उसके खाते में अच्छे कर्मों की कमी होती है तो ऐसे लोगों की ईश्वर सहायता नहीं कर पाते और फिर कई लोगों को यही कहते सुना जाता है कि भगवान होता ही नहीं |
कुछ महिलाएं या पुरुष ज्यादा तर उपवास रखते हैं | जबकि उपवास का ईश्वर भक्ति से कोई संबंध नहीं है | लम्बे समय तक किये जाने वाले पाठ में उपवास करना अनिवार्य होता है | लम्बे समय तक होने वाले अनुष्ठानों में हल्का भोज्य पदार्थ लिया जाता है ताकि बैठने में असुविधा नहीं हो | प्याज और दुर्गन्ध वाली वस्तुएं भी खाना वर्जित होता है क्यूंकि इन दुर्गन्ध वाली वस्तुओं की दुर्गन्ध से दैवीय शक्ति उपस्थित नहीं हो पाती | इसी वजह से नवरात्रों में साधक प्याज और लहसुन (onion and garlic) नहीं खाते हैं |
मनुष्य किसी भी धर्म या समुदाय से हो सिर्फ इस बात का ध्यान रखना चाहिए मनुष्य के कर्मों के आधार पर ही उसका जीवन अच्छा या बुरा बनता है |
इसलिए यदि स्वास्थ्य ठीक न होने की स्थिति में पूजा करने से पहले कुछ खा लेना चाहिए व्यर्थ की शंका में नहीं रहना चाहिए | यदि घर में पूजा का स्थान और देवी - देवता की तस्वीर लगा रखी ही तो उनका धूप दीप से पूजन दिन में जब स्वास्थ्य ठीक लगने लगे तब कर देना चाहिए | जब ज्यादा स्वास्थ्य ख़राब हो तो मानसिक पूजन कर लेना चाहिए और क्षमा मांग लेना चाहिए |
कोई भी व्रत नहीं रखना चाहिए | बहुत लम्बे समय तक जाप करना हो तो व्रत रखना चाहिए | ताकि जाप करते समय आलस्य और नींद नहीं आये |
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