Pitra dev
पितृ देव
पितृ देव हमारे पूर्वजों को कहा जाता है | पितृ दान या पितृ पूजा का बहुत ही बड़ा महत्व होता है | ब्रह्मांड के नियमानुसार यदि कोई व्यक्ति अपने पितरों को दान या जल का अर्पण या पितृ शांति के उपाय नही करता तो उसका जीवन कई प्रकार की कठिनाइयों से भर जाता है | जैसे धन का अभाव , नौकरी का नहीं मिलना | पुत्र की आकश्मिक मृत्यु या लंबी बीमारी | सुखों का अभाव ये सभी पितृ दोष के कारण ही होता है| कई बार बहुत पूजा पाठ करने पर ईश्वर कृपा प्राप्त नही होती | क्योंकि जब पितृ रुष्ट हो जाते हैं तो वे किसी भी प्रकार की देवताओ की कृपा को आने से रोक देते हैं | व्यक्ति के जीवन के सभी सुखों को रोक देते हैं |
अतः मनुष्य को अपना जीवन सुखमय बनाने के लिए पितृ दोष के निवारण हेतु उपाय करना चाहिए| कोई भी व्यक्ति किसी वंश मे जन्म लेता है तो वह सिर्फ़ अपने माता-
पिता का श्राद्ध करता है और अपने पूर्वजो के विषय में कोई ज्ञान नही रखता जबकि उसके पूर्वजों में कुछ देवता रूप मे और कुछ प्रेत योनि में भी होते हैं और ये सभी इस उम्मीद में रहते हैं की आने वाली संतान उन्हे जल अर्पण कर तृप्त करेंगी | परंतु आधुनिक समय में ज़्यादातर लोग इन बातों पर विश्वास ही नही करते और ऐसे मनुष्यों पर उनके पितृ देवता क्रोधित हो जाते हैं और श्राप दे देते हैं |
ज़्यादातर लोगो को मालूम नहीं होता कि उनके पितृ देव कौन हैं | उस परिस्थिति में अमावश्या को ब्राह्मण को या ग़रीबो को भोजन दान आदि किए जाने पर पितृ देवता प्रसन्न हो जाते हैं और वो सुखमय जीवन का आशीर्वाद देते हैं |
सुख का अर्थ सिर्फ़ धन ही नहीं होता बल्कि संस्कारी संतान हो, घर का वातावरण शांत हो, जीवन में किसी भी प्रकार का अभाव नहीं हो, हर तरफ मान सम्मान प्राप्त हो यह सभी संसारिक सुखों की श्रेणी में आते हैं | अतः हमें अपने पितृ देवताओं का आदर करना चाहिए |
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