Saturday, May 31, 2014

Hindutva


                                                 

                                                                                         हिन्दुत्व

  

हिन्दुत्व के विषय में ज्ञान प्राप्त कर लिया तो फिर किसी और ज्ञान की आवश्यकता नहीं रह जाती | और ना ही किसी धर्म की आवश्यकता रहती है | इधर उधर भटकना छोड़ कर मनुष्य यदि अपना कीमती जीवन सही रूप से हिन्दुत्व के विषय में अध्ययन करने में व्यतीत करता है तो उसका जीवन सार्थक हो जाता है | हिन्दुत्व ही एकमात्र विज्ञान है | समस्त ब्रह्मांड का रहस्य हिंदुत्व में ही मौजूद है |


 सदियों से तपश्या में लीन ऋषि आज भी तप कर रहे हैं। शरीर त्याग कर आज भी ब्रह्माण्ड में मौजूद हैं। सभी सृष्टि के संचार में अपना अपना योगदान कर रहे हैं। 

 जब बात हिंदुत्व की होती है तो लोग हिंदुत्व को उन धर्मों से तुलना कर बैठते जो कुछ ऋषि या तपस्वियों  द्वारा बनाये गए थे।

 

 

 हिंदुत्व कोई अन्य धर्मों की तरह बनाया हुआ धर्म नहीं है। परब्रह्म परमेश्वर द्वारा श्रृष्टि को चलाने हेतु एक व्यवस्था है। जिसको समझने के लिए कोई एक जन्म पर्याप्त नहीं है। पूरा अध्ययन करने के लिए कई जन्मों तक अध्ययन और तपस्या करना आवश्यक है।

 

 अक्सर देखा जाता है कि हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई सब हैं एक बराबर तो सबको हिंदुत्व  के बराबर कैसे माना जा सकता है। क्योंकि सिख धर्म सिर्फ गुरु तक सीमित है मुस्लिम धर्म एक निराकार ईश्वर को मानते हुए उन्हीं का जप करता है। इसाई धर्म सिर्फ ईशा मसीह के रूप को ही मानते हैं तो इन धर्मों को हिंदुत्व के बराबर क्यों समझा जाता है। जबकि ये सभी धर्म हिंदुत्व की ही देन हैं। ब्रह्माण्ड का अथाह ज्ञान से भरा हुआ हिंदुत्व को सिर्फ एक धर्म कह देने से उसका विशाल ज्ञान भरा अस्तित्व अत्यंत सूक्ष्म हो जाता है।

 

हिंदुत्व जाती पांति के भेद भाव से परे सिर्फ मानव कल्याण हेतु है । हिंदुत्व को अलग-अलग धर्म से तुलना करना और भेद-भाव करना सही नहीं  है। 

 

 एक उदाहरण यहाँ प्रस्तुत है। दिल्ली में विवेक विहार में स्थित हनुमान जी के मंदिर में पथरी की फ्री दवाई दी जाती है। लाखों लोग वहाँ दवाई खाने आते है और तुरंत ठीक हो जाते हैं। बड़ी-बड़ी लाइनें लगती हैं जिनमे हर धर्म के लोग आते हैं और स्वस्थ हो जाते है।  वहाँ  दवा लेने के लिए किसी भी धर्म को मानना आवश्यक नहीं है | हरेक धर्म को मानने वाले वहाँ दवा लेते हैं |क्योंकि हर मनुष्य संसार में आता है तो वो एक ही विधान  के अनुसार आता है जिसको हिंदुत्व कहते हैं। जन्म लेने के बाद उसे जो भी धर्म दिखाई देता है वो उस धर्म से जुड़ जाता है। और उसी परमेश्वर को अलग-अलग रूपों में जानने लगता है।  हिंदुत्व को सिर्फ एक धर्म तक सीमित नहीं  समझना चाहिए ये समस्त संसार के संचालन हेतु एक विधान है। जिसकी रचना ईश्वर द्वारा रची गयी है। जब संसार में लोग हिंदुत्व को समझ लेंगे तो धर्म की बेड़ियाँ अपने आप समाप्त हो जाएँगी और मनुष्य कर्म प्रधान जीवन जीने में विश्वास करेगा | 



 

 

 

 

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