Monday, May 5, 2014

Mrityu

                                            

                                                                                  मृत्यु

 

 

                                           

मृत्यु एक अटल सत्य है | यह सभी प्राणी अच्छी तरह जानते हैं | परंतु प्रायः मानव मृत्यु के विषय में विशेष विचार विमर्श नही करते | मृत्यु को एक भयानक सच मान लेते हैं और इस विषय पर गंभीरता से विचार नही करते | प्रत्येक मनुष्य संसार में अपने कार्य हेतु जन्म लेता है | और जब उसका कार्यकाल समाप्त हो जाता है तब वह पुनः अपने नश्वर शरीर को छोड़कर आगे की यात्रा के लिए प्रस्थान  कर देता है |

ईश्वर की रचना के अनुसार मनुष्य अपने भविष्य को कभी नही जान पाता| यदि एसा हो जाए तो मनुष्य संसारिक जीवन को अच्छी तरह नही जी सकता| इसीलिए  आने वाली घटनाओ से अनजान मनुष्य संसारिक जीवन जीता चला जाता है|

अतः मनुष्य को संसारिक जीवन जीने के साथ अध्यात्मिक होना भी आवश्यक है| यदि किसी परिजन की आकस्मिक  मृत्यु हो जाती है तो परिवार के सभी सदश्यो को मानसिक  आघात लगता है| और इस आघात को सहन नही कर पाते कुछ लोग अपना मानसिक संतुलन खो देते हैं| धीरे-धीरे  समय के साथ सामान्य स्थिति में आ जाते हैं|

मनुष्य ना तो अपनी इच्छा से जन्म लेता है और ना ही मृत्यु को प्राप्त होता है|  सिर्फ़ एक तपस्वी ही सिद्धि प्राप्त करके अपनी इच्छानुसार जन्म और मृत्यु को प्राप्त कर सकता है | एक साधारण मनुष्य के लिए यह असंभव होता है|


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