Mrityu
मृत्यु
मृत्यु एक अटल सत्य है | यह सभी प्राणी अच्छी तरह जानते हैं | परंतु प्रायः मानव मृत्यु के विषय में विशेष विचार विमर्श नही करते | मृत्यु को एक भयानक सच मान लेते हैं और इस विषय पर गंभीरता से विचार नही करते | प्रत्येक मनुष्य संसार में अपने कार्य हेतु जन्म लेता है | और जब उसका कार्यकाल समाप्त हो जाता है तब वह पुनः अपने नश्वर शरीर को छोड़कर आगे की यात्रा के लिए प्रस्थान कर देता है |
ईश्वर की रचना के अनुसार मनुष्य अपने भविष्य को कभी नही जान पाता| यदि एसा हो जाए तो मनुष्य संसारिक जीवन को अच्छी तरह नही जी सकता| इसीलिए आने वाली घटनाओ से अनजान मनुष्य संसारिक जीवन जीता चला जाता है|
अतः मनुष्य को संसारिक जीवन जीने के साथ अध्यात्मिक होना भी आवश्यक है| यदि किसी परिजन की आकस्मिक मृत्यु हो जाती है तो परिवार के सभी सदश्यो को मानसिक आघात लगता है| और इस आघात को सहन नही कर पाते कुछ लोग अपना मानसिक संतुलन खो देते हैं| धीरे-धीरे समय के साथ सामान्य स्थिति में आ जाते हैं|
मनुष्य ना तो अपनी इच्छा से जन्म लेता है और ना ही मृत्यु को प्राप्त होता है| सिर्फ़ एक तपस्वी ही सिद्धि प्राप्त करके अपनी इच्छानुसार जन्म और मृत्यु को प्राप्त कर सकता है | एक साधारण मनुष्य के लिए यह असंभव होता है|
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