Thursday, November 28, 2013

सकारात्मक उर्जा



                                                      

                                         सकारात्मक उर्जा



                              

आज  के  समय  में  चारो  दिशाओ  मे  अशांति  ही  अशांति    दिखाई  देती  है | 
 कही भी  सुख  चैन  खुशी  का  माहौल  दिखाई  नही  देता |  परिवर्तन  निरंतर होता  
जा  रहा  है |  कहाँ  से  आई  ये  अशांति और  परेशानी |  ये  सब  मनुष्य  के  अंदर
अंतरात्मा  से  ही  उत्पन्न हुई  है |  कुछ  भी  बाहर  से  नही  आता और  हम  सभी  
मानव जाति के लोगो  द्वारा  ही  हर  तरफ  बुराई को  बढ़ावा  दिया  जाता  है| 



संसार में ईर्ष्या,  अहंकार, लालच ये सभी  मनुष्य को  बुराई  की  और  ले  जाती  हैं|
ज़्यादातर हम  देखते  हैं की  किसी  भी  सफल  और  कामयाब  व्यक्ति  को  देखकर
कई  लोग  ईर्ष्या  से  भर  जाते  हैं |  स्वयं  के  पास  चाहे  जितना  भी  सुख  हो 
परंतु  दूसरे  के  सुख को  देख कर  ईर्ष्या  का  भाव  आ  जाता  है |  और  जो कामयाब 
व्यक्ति होता  है वो  अपनी  कामयाबी के  अहंकार  में  रहने  लगता  है |  और किसी  को 
सम्मान  ना  देकर  स्वयं  का  सम्मान  चाहता  है |  तो  ऐसे  में ईर्ष्या करने  वाला  व्यक्ति
का  मन  नकारात्मक  उर्जा  से  भरा  होता  है|  और  वो  कितना  भी  प्यार  और  सम्मान  
से  व्यवहार  करेगा  तब  भी  उसका  ईर्ष्या  भाव  छुप  नही  पाता |  वातावरण  में 
 नकारात्मक उर्जा  का  संचार  होने  लगता  है |  उर्जा  दो  प्रकार  की  होती  है  सकारात्मक 
और  नकारात्मक अक्सर  हम  देखते  हैं  की  हमारे  हिंदू  धर्म में  घर  की सुद्धि  हेतु 
 सत्यनारायण  की  कथा, हवन,  पाठ ,  जाप  आदि  किए  जाते  हैं  |  इन  सब  के  पीछे  एक 
 ही  उद्देश्य  होता  है  कि घर मे  नकारात्मक  उर्जा  समाप्त  हो  जाए  और  खुशियाँ 
 आ  जाएँ |
 

 

  परंतु  हम  देखते  हैं  कि पूजा  पाठ  तो  कर  लिया  गया  परंतु  क्या  अपनी  अंतरात्मा  को
 भी  सॉफ  किया  उसमे  कितने विकार  मौजूद  हैं क्या  उन्हे  हटाया  गया  है |  शायद  एसा 
 नही  होता  यदि  रोजाना सोचा जाए कि आज मेने किसी  को दुख तो  नही दिया |  किसी  क
अपमान करके उसको मानसिक आघात तो नही दिया यदि किसी को कष्ट दिया और उसने 
 मुझे पलट कर  गाली या अपशब्द कहे तो मेने उसका पलट के  जवाब देने में अपशब्द तो 
नही कहे | यदि अपनी भूल  का  आभाष किया है तो सोच सकारात्मक है  और यदि बदला  लेने  की  ठान  ली   मन  में  सचमुच  विकार भरा हुआ है |  और नकारात्मक सोच का बार-बार  आदान  प्रदान  होता  चला  जाता  है |  


और   ब्रह्मांडीय  उर्जा  दूषित  होती  चली  जाती  है |   हर  व्यक्ति  में  नकारात्मक उर्जा  का संचार   होने   लगता  है |  हर  तरफ  क्रोध,  शोक,  विषाद  से  भरा हुआ  वातावरण  दिखाई पड़ता है |  तो  अब हर तरफ सकारात्मक उर्जा बनानी है  तो  हर  उस  ग़लती  को  होने  से  रोकना  होगा  जिसके कारण  नकारात्मक  उर्जा  का  प्रवाह होता है |                                                                                               

चारो तरफ खुशहाली महसूस हो  हवा मे ताज़गी का  अहसास हो | ओम की ध्वनि अपनी अंतरात्मा में महसूस हो  | 

No comments:

Post a Comment