guru
गुरु की आवश्यकता क्यू है अक्सर हम देखते है की कुछ लोग
अपने घर में नित्य पूजा पाठ किया करते हैं, और उतना ही
परेशान भी रहते हैं कभी गंभीर बीमारी का शिकार हो जाते हैं |
और घर परिवार में कोई ना कोई क्लेश का वातावरण बना ही
रहता है एसा क्यू होता है | क्योंकि सही मार्गदर्शन का अभाव
होने के कारण, जब मनुष्य कष्ट का सामना करता है, तब
पंडित या ज्योतिषो के चक्कर लगाने लगता है और बहुत
सारा पैसा बर्बाद करता है तब कही कुछ स्थति सामान्य हो
पाती है परंतु पूर्ण आराम नही मिल पाता | जीवन सदेव एक
जैसा नही रहता कभी खुशिया तो कभी दुख आते ही रहते हैं|
परंतु जब किसी व्यक्ति के जीवन में कष्ट आ ही जाते हैं तो
व्यक्ति का ध्यान पूजा पाठ की ओर चला जाता है और व्यक्ति
लोगो के बताए अनुसार पूजा करना शुरू कर देता है परंतु सही
विधि विधान ग्यात ना होने के कारण मुसीबत में फँस जाता
है| जैसे एक व्यक्ति ने दुर्गा सप्त्सती का पाठ करना शुरू कर
दिया और कुछ ही दीनो में उसमे अहंकार आने लगा और
उसके द्वारा घर में कुछ एसा वार्तालाप या ज़िद मचाना होने
लगा की पूरा परिवार उस से परेशान रहने लगा | उसकी छवि
घर में बुरे इंसान के रूप में बन गयी | आख़िर उसके पूजा पाठ
में एसी कौन सी भूल हो रही थी जिसकी वजह से उस व्यक्ति
को परेशानी होने लगी | क्योंकि सही ज्ञान नही होने के कारण
ऐसा हुआ | कोई भी पूजा करने से पहले दिव्य गुरु का होना
आवश्यक है| गुरु गोरखनाथ, ऋषि पुलस्थ्य और ऋषि
निखिलेश्वरनंद जी ये दिव्य गुरु हैं और धरती पर किसी ना
किसी रूप में आते ही रहे इन्ही से दीक्षा ग्रहण कर अनेको
सन्यासी हिमालय में तपस्या कर उच्च कोटि के ऋषि बने,
भगवान शिव ने ही इन गुरुओ के रूप में अवतार लिया और
सिद्धि प्रदान की| परंतु गृहस्थ के लिए एक ही गुरु मंत्र दिया
वो इस प्रकार है -( ओम नमः शिवाय ) सर्व प्रथम पूजा स्थान
को स्वच्छ करना चाहिए कही कोई मकड़ी के जाले लगे हो या
मकड़ी बैठी हो या अन्या कोई भी कीट पतंग पूजा स्थान में नही होना
चाहिए | एक आसान बैठने हेतु जिस पर बैठ कर जाप करना है |
आसान कंबल का या कुश का लिया जा सकता है आसन पर गंगा
जल छिड़क कर शुद्ध कर लें | और शिव जी की फोटो रख कर उनका
सामान्य पूजन करे पूजन करने से पहले हाथ में जल ले कर संकल्प
करे की- है शिव जी मैं आपको अपना गुरु मान कर आज से गुरु मंत्र
( ओम नमः शिवाय ) का जाप करूँगा मुझे आशीर्वाद और मार्गदर्शन
देने की कृपा करे , यह कह कर हाथ का जल ज़मीन पर छोड़ दें |
जाप के लिए एक रुद्राक्ष की माला पहले से ही लाकर रखे और रुद्राक्ष
की माला को किसी मंदिर में स्थापित शिव लिंग से स्पर्श करा कर
रखे और उस माला में१०८ रुद्राक्ष होने चाहिए | यदि माला नही मिले
तो १५ मिनट जाप करे अंत में गायत्री मंत्र का जाप एक माला करे |
उसके बाद हाथ मे जल लेकर शिव जी से प्रार्थना करे की -मंत्र जाप मे
कोई भूल हुई हो तो छमा करे यह मंत्र आपको समर्पित करता हू और
जल ज़मीन पर छोड़ दे | यही क्रम रोज करे क्योंकि जब तक सही सिद्द
गुरु प्राप्त नही हो जाते तब तक शिव जी को ही गुरु मान लेना चाहिए |
रोज ४, ५, ११ या १६ माला जप सकते हैं जब तक सवा लाख मंत्र
नही हो जाए किसी भी दिन मंत्र जाप करना बंद ना करे
अन्यथा दोबारा शुरू से जाप प्रारंभ करना पड़ता है और फिर
जब भी कोई भी पूजन या दुर्गा पाठ करना हो तो पहले गुरुजी को हाथ
मे जल लेकर कहे की मे यह स्त्रोत या पाठ कर रहा हू मुझे आशीर्वाद
दीजिए यह कर जल ज़मीन मे छोड़ दे फिर दुर्गा जी को भी इसी प्रकार
हाथ मे जल लेकर बोल दीजिए फिर जल ज़मीन पर छोड़ दीजिए जब
पाठ पूरा हो जाए तब छमा याचना दुर्गा जी से अवश्य करे और फिर
हाथ मे जल लेकर शिव रूपी गुरुदेव जी को यह कहे की हे गुरुदेव इस
पाठ मे कोई भूल हो गयी हो तो छमा करे मैं यह पाठ आपको समर्पित
करता हू और जल ज़मीन में छोड़ दे | बिना गुरु के कोई भी पूजा
पाठ करने से भूत प्रेत आकर सारा फल प्राप्त कर लेते हैं और
धीरे- धीरे व्यक्ति के शरीर में समा जाते हैं और व्यक्ति शक्ति हीन हो
जाता है और ये प्रेत शक्तिशाली हो कर अपनी मन मर्ज़ी करना सुरू
कर देते है और व्यक्ति रोग ग्रस्त हो कर मर जाता है यही प्रेत
उसको लेकर चले जाते हैं | पूजा के स्थान के आसपास कीड़े - मकोडे
पूजा का सारा फल ग्रहण कर लेते हैं | बिना आसन के भी जप -
तप नही करना चाहिए क्योंकि सारी उर्जा इधर उधर बिखर जाती है
| तो यही है वो रहश्य की गुरु की आवश्यकता क्यो होती है | जो
सिद्ध गुरु होते हैं उन्हे समय ही नही होता किसी से बात करने का
यदि ये गुरु किसी पर प्रसन्न हो जाते हैं तो ये दिव्य गुरु मंत्र अपने
भक्त को प्रदान कर देते हैं | ऐसे गुरु टी. वी . ही नही जनता के सामने
भी नही आते हमेशा गुप्त रूप से निवास करते हैं | तथा इन सिद्ध
गुरुओ को धन की लालसा भी नही होती| मेरा इस लेख को
लिखने का मकसद यही बताना है की गुरु का क्या महत्व है
आजकल के ढोगी गुरुओ द्वारा जनता को दिए गये छलावे को
देखते हुए मेने यह लेख लिखा है | यदि किसी को भी इस लेख
से लाभ प्राप्त होता है तो मेरा प्रयास सफल होगा| यह लेख
सबसे ज़्यादा महिलाओ के लिए लाभ प्रद रहेगा एसी मुझे
आशा है | आगे अपने अन्य लेखो में और भी कई भ्रांतियो को
मिटाने की कोशिश करूँगी | तब तक के लिए जय सद गुरु
देव
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