Dharmik Guru
आज कल हम देखते हैं की बहुत सारे धर्म गुरु हो गये हैं, जिनमे से कई गुरु ज़्यादातर भ्रष्ट ही मिलते हैं, और फिर आए दिन किसी ना किसी आरोप के तहत क़ानून की लपेट में आ ही जाते हैं क्योंकि ये गुरु सिर्फ़ पैसा बटोरने के लिए ही आते हैं | सही ज्ञान इनके पास होता ही नही |
जनता की भलाई के नाम पर ठगी ही करते हैं , गुरु दीक्षा देना एक ढोंग मात्र ही रह गया है | गुरु मन्त्र के नाम पर एक साधारण सा मन्त्र बता दिया जाता है और कहा जाता है की किसी को बताना नही है | और फिर उस मन्त्र को जपने का क्या विधि विधान है वो सब भी नही बताया जाता है| लोगो की भीड़ एकत्रित करके खूब प्रवचन और फिर भजन कीर्तन द्वारा मन को शांति पहुँचाई जाती है | और एसे गुरुओ के शिष्या लोगो को अपनी बातो से इतना प्रभावित कर देते हैं की लोगो में किसी अच्छे भविष्या की कल्पना अपना रूप लेने लगती है | और लोग खुशी- खुशी एसी संस्थाओ में दान देना सुरू कर देते हैं | और फिर दिखाई देता है की लोग अब भी दुखी हैं पर गुरुजी इंटरनॅशनल गुरु बन गये हैं |
परंतु सभी गुरु एसा नही करते कुछ गुरु बहुत सच्चे भी हैं , जो सच्चे मन से लोगो का कल्याण करते हैं | परंतु एसे सच्चे गुरुओ की संख्या बहुत ही कम होती है | हमारे मन में सबसे पहला सवाल यही आता है की गुरु क्यो आवश्यक है | गुरु मन्त्र की आवश्कता हमे क्यो है | तो सबसे पहले हमे गुरु शब्द का अर्थ समझ लेना चाहिए | गुरु ज्ञान को ही कहते हैं | और जब तक ज्ञान नही जीवन जीना एक पशु के समान होता है गुरु मन्त्र गुरु को प्राप्त करने का साधन है |
ब्रहमांड में समस्त ज्ञान भगवान शिव जी के द्वारा ही दिया गया है | भगवान शिव द्वारा ही मन्त्र, यंत्र, और तन्त्र का ज्ञान मनुश्य को दिया गया है|
एक साधारण गृहस्थ जीवन जीने वाला मनुश्य शिव जी के इतने विशाल रह्श्यो को समझने में कामयाब नही हो पाता क्योंकि अपने छोटे से जीवन काल में वो सिर्फ़ घर गृहस्ती ही संभाल पाता है |
योगी ऋषि मुनि भी कई जन्मो तक तपशया करते हुए शिव जी के रहश्य को कुछ हद तक समझ पाते हैं | परंतु यदि एक साधारण मनुष्य शिव जी को ही अपना गुरु मान ले और गुरु मन्त्र के रूप में सिर्फ़ ये मन्त्र जपना शुरू कर दे ( ओम नमः सिवाए )तो वो गृहस्थ होते हुए भी तपशया का फल प्राप्त करता है |
शिव जी उस से प्रसन्न होकर दीक्षा दे देते हैं | और अपना प्यारा शिष्य बना लेते हैं | शिव जी के प्रति सच्चा प्यार हो तो वो बिना किसी साधना और तपशया के भक्त को असली ब्रह्मांड का ज्ञान करा देते हैं |और सत्य का बोध होते ही मनुष्य सारे दुखो से मुक्त हो जाता है |
आज भारत देश में अँग्रेजियत इतनी फैल गयी है कि लोग चारो तरफ दुखी ही दिखाई देते है | दूसरी तरफ विदेशी लोग भारत में आ कर ज्ञान अर्जित करके अपना जीवन सुधारने में लगे हुए हैं | हमारे ही भारतीय बच्चे अपने संस्कारो से दूर होते जा रहे हैं | जिसका सबसे बड़ा कारण हमारे देश की दोष पूर्ण शाशन व्यवस्था है |
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