Monday, July 10, 2017

care of child (बच्चों की देखभाल)

                                                      बच्चों की देखभाल 


बच्चों की उनकी शैशव अवस्था से देखभाल अच्छी तरह की जाये तो वो स्वस्थ और हष्ट पुष्ट बने रहते हैं | यही नहीं शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत उन्नति करते हैं | खेल कूद में भी बहुत आगे रहते हैं | भारत में अधिकतर बच्चे कुपोषण के कारन बचपन में ही जानलेवा बिमारियों के शिकार होते हैं | 



कुछ माताएं अपने बच्चों को दूध में चीनी मिलाकर पिलाती हैं और कुछ माताएं अपने बच्चों को दूध में चाय की पत्ती उबाल कर देती हैं जो की बहुत ही हानिकारक है | बच्चों को शिशु अवस्था से मीठा दूध नहीं देना चाहिए क्यूंकि इस से पेट में कीड़े हो जाते हैं | और बच्चा तंदुरुस्त नहीं हो पाता | टॉफी,  चॉक्लेट,  ब्रेड, ये सभी वस्तुएं बच्चों को नहीं खिलानी चाहिए | 



शिशु जब छह महीने का हो जाये तब उसे दलिया और मूंग की छिलके वाली दाल मिलाकर उसमें हल्का नमक डालकर पतली खिचड़ी बनाकर खिलाना चाहिए | खिचड़ी को बहुत ज्यादा उबालना चाहिए ताकि दलिया के दाने और दाल अच्छी तरह घुल जाये और जूस की तरह हो जाये और शिशु इसको आसानी से पचा सके | इसमें एक पालक का छोटा टुकड़ा और गाजर का छोटा टुकड़ा मिला कर भी उबाल सकते हैं और किसी चमचे की सहायता से दबा कर पतला करके शिशु को दे सकते हैं | शिशु आसानी से खा सके और पाचन भी हो जाये |  जैसे- जैसे बच्चे बड़े होते  हैं वो अपने आसपास की सभी खाने की वस्तुओं को देखते हैं और उसको खाने की कोशिश करते हैं |



 उम्र बढ़ती जाती है और बच्चे बाजार में मिलने वाली चाट, गोलगप्पे,  टिक्की, चॉक्लेट, मिठाइयों की तरफ आकर्षित होते हैं और तब उनको रोकने पर वो नहीं मानते | इसलिए  शिशु  अवस्था में यदि बच्चों को स्वस्थ रखा जाये तो वो बड़े होकर ज्यादा बिमारियों का शिकार होने से बच जाते हैं | उनकी इम्युनिटी पावर बनी रहती है | 




यदि बार-बार बच्चा बीमार हो तो कुछ दिन पानी में सेंधा नमक डाल कर स्नान कराना चाहिए | अगर सेंधा नमक नहीं मिले तो साधारण नमक डाल कर भी नहला देना चाहिए | साबुन का प्रयोग नमक से स्नान के बाद ही करना चाहिए | और बच्चे के जन्म के एक महीने बाद से उसके शरीर की मालिश बेबी आयल से अवश्य करनी चाहिए |  बच्चे के पैरों की मालिश दिन में दो या तीन बार करनी चाहिए मालिश से पैर मजबूत होते हैं और बच्चों को खड़े होने और चलने में आसानी होती है |  



जब शिशु घर में हो तो घर की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए | ताकि किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचाव हो सके | अगर शिशु बीमार हो जाये तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए | अपनी मर्जी से कोई दवा नहीं देनी चाहिए | बच्चों को साफ धुले हुए वस्त्र पहनाएं यदि वस्त्र गंदे हो जाएँ तो तुरंत बदल कर स्वच्छ कपड़े पहनाएं | सभी घातक रोगों से बचाव हेतु टीके अवश्य लगवाएं | 

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