Sunday, June 12, 2016

KARMA IS DHARMA (कर्म ही धर्म)

                                                                                                                           कर्म ही धर्म






सदियों से धर्म को लेकर वाद विवाद होते रहे हैं | और हर धर्म में कहीं-कहीं मनगढ़ंत भ्रांतियाँ पैदा की गयी हैं | 

 

जिनके चलते हर धर्म के लोग गुमराह हो जाते हैं | ज़्यादातर लोग जो भी सुनते हैं उसी पर विश्वास कर लेते हैं |

 

जबकि हरेक व्यक्ति अगर अध्यात्म के रास्ते पर चलकर साधक बन कर सच्चाई को जान ले तो वो किसी भी धार्मिक अंधविश्वास से भरी बातों से बच सकता है | 



 अभी हाल ही में न्यूज़ में आया कि पाकिस्तान में एक 90 वर्षीय हिंदू बुजुर्ग की पोलीस वालों ने निर्दयता से इसलिए पिटाई कर दी क्योंकि उसने  जल्दी खाना खा लिया | मनुष्य किसी भी बंधन में नहीं बँधा उसका जब मन हो वो भोजन ग्रहण कर सकता है | उपवास या व्रत ये सिर्फ ईश्वर का ध्यान आकर्षित करने के लिए मनुष्य करता आया है| 

 

 

जबकि मनुष्य चाहे तो मानसिक रूप से ईश्वर का ध्यान करके भी उनको अपना बना सकता है | परंतु मनुष्य सदा से ही प्रदर्शन कारी रहा है , कुछ ना कुछ दिखावा करके वो अपने को सर्वोत्तम दिखना ज़रूरी समझता है | जबकि नियम ये कहता है कि कर्म ही पूजा है | यदि पूजा पाठ करने वाला व्यक्ति अहंकार में आ कर किसी व्यक्ति का अपमान करता है तो वह पाप का भागी बनता है | और उसके द्वारा की गयी पूजा का फल उसे नहीं मिलता | 

 

 

आज देश विदेश के सभी लोग अध्यात्म से जुड़ कर सच्चाई तक पहुँच रहे हैं | पाखंड से परदा उठता जा रहा है |

 सिक्ख धर्म  एक कर्म प्रधान धर्म है | जिसको मानव कल्याण हेतु सेवा भावना के लिए बनाया गया है | इसके अलावा हिंदुत्व में पूजा, हवन इत्यादि वैदिक काल से चले आ रहे हैं |

 जिनका संबंध ब्रह्मांडीय ऊर्जा से है | वैज्ञानिक रूप से भी जाँचा परखा गया है | और पूजा हवन द्वारा वातावरण शुद्ध होता है | और एक सकारात्मक ऊर्जा का संचारण होता है| 

 


अक्सर हम देखते हैं कि जो व्यक्ति पूजा नहीं कर पाता तो लोग उसको नास्तिक या पापी और बुरा इंसान समझ लेते हैं  | या यदि कोई ईसाई चर्च नहीं जाए तो उसको भी बुरा समझा जाता है| मुस्लिम व्यक्ति नमाज ना पढ़े तो उसको भी बुरा समझा जाता है |  

 

जबकि ऐसा नहीं है  | जो व्यक्ति अच्छा कर्म करता है वो ही ईश्वर के सबसे करीब हो जाता है | उसके आगे धर्म छोटा रह जाता है | 


हरेक धर्म का उद्देश्य मानव कल्याण रहा है परंतु आज के समय में धर्म का उद्देश्य मानव भेद-भाव हो गया है | इसलिए बुद्धिजीवी और शिक्षित मानव अब धर्म की  बेड़ियाँ   तोड़ कर सिर्फ़ मानव और जीव जंतुओं की सहायता करने में जुट गया है | 

 

 हवन पूजा का प्रयोग वो वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर करने लगा है | आने वाले समय में मनुष्य झूठे थोपे गये ढकोशलों को छोड़ कर बहुत आगे निकल जाएगा | 

 

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