होरी
आयौ होरी कौ त्यौहार, होरी खेलौ मेरे बीर|
कौउ ले आवै चौवा-चंदन कौउ कुंकुमी रोरी|
कौउ ढोल मंजीरा ल्यावै, रंग की भरी कमोरी|
कौउ नाचे कौउ गावै, कौउ बजावै तारी|
छोटे बड़े, सिबै मिली खेलौ, अपनी-अपनी बारी|
नारी नर लेयी रंग अबीर, होरी खेलो मेरे बीर|
स्वर्गिय श्री नवल सिंह भादौरिया जी के
( काव्य संकलन ब्रज वीथिका से कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत हैं| )
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