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Sunday, September 24, 2017

cast, religion and society (जाति, धर्म और समाज)




संसार में मनुष्य कई समाज या समूह तथा जाति (cast)  और धर्म (religion) में बंटा हुआ है |  परन्तु सदियों से मनुष्य अपनी इच्छानुसार समाज , धर्म, और जाति से अलग भी होता देखा गया है | क्यूंकि जाति , धर्म, और समाज मनुष्य ने स्वयं बनाये हैं | और इच्छानुसार मनुष्य इसमें परिवर्तन करता चला आ रहा है | अपनी अपनी मानसिक प्रवृति के अनुरूप मानव समाज , धर्म , और जाति का चयन करता आया है | परन्तु प्रश्न यह उठता है कि क्या ऐसा करने से मनुष्य का जीवन सुखद हुआ है | 



अपने पूर्ण जीवन काल में मनुष्य कई कठिनाइयों और मुसीबतों का सामना करता है | मुसीबत का सबसे अहम् कारन आपसी भेदभाव बैर भाव की भावना , ईर्ष्या की भावना , अहंकार की भावना , अपने को दूसरे से श्रेष्ठ समझने की भावना , इत्यादि हैं | सदियों से अनेकों धार्मिक ग्रन्थ  देश विदेश में लिखे गए हैं | विश्व में कोई ऐसा देश नहीं जो पूजा पाठ नहीं करता हो | ज्यादातर लोगों को मृत व्यक्ति की कब्र पर पूजा करते भी देखा गया है | जीवित व्यक्तियों की कद्र नहीं करके मृत व्यक्तियों की पूजा करते देखा जाता है |  बिना विचार किये हुए मनुष्य कई तरह के अनावश्यक कार्यों को कर रहा है | और यही कारन है कि हर तरफ मनुष्य कष्ट पूर्ण जीवन जी रहा है | धर्म के नाम पर कई रीति रिवाज बनाये जा रहे हैं | जिनका कोई महत्व ही नहीं है | जैसे कई धर्मों के लोगों को कई प्रकार के व्रत या रोजा रखते देखा जाता है | अच्छे कर्मों की ओर ध्यान देने की वजाय लोग इन धार्मिक क्रियाओं को करके अपनी विशेषता बताते हैं | यदि अच्छे कर्म की ओर ध्यान दिया जाता तो मनुष्य आज दुःखी  नहीं होता रोग का शिकार नहीं होता | 




आज के समय में बाजारों में मिलने वाली सब्जियां  (vegetables) रासायनिक पदार्थों के प्रयोग से जहरीली हो गयी हैं |  दूध में मिलावट के चलते दूध भी जहरीला हो गया है | प्रतिदिन लाखों लोग कैंसर (cancer) जैसी घातक बिमारियों से मर रहे हैं |  ऐसे लोगों की मृत्यु का कारन कोई इंसान ही होता है | आज के समय में इंसानियत ख़त्म होती दिखाई दे रही है और लोगों का यही मानना रह गया है कि ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाया जाये | पैसे को पाने के लिए किसी भी मनुष्य को नुक्सान पहुँचाने में नहीं हिचकते |  कुछ मनुष्य अपनी ताकत का प्रयोग रास्ते पर चलती हुई महिलाओं पर करते हुए देखे जाते हैं महिलाओं के जेवर और पर्स छीन कर सुख भोगने की कोशिश करते हैं |  कुछ मनुष्य महिलाओं , छोटे बच्चे और बच्चियों के साथ क्रूरता पूर्वक घिनौना काम करने में माहिर होते हैं |  आज हर धर्म और जाति समाज में बुरे कार्य होते देखे जाते हैं | हमारे ही समाज के लोग ऐसा करते देखे जाते हैं |  धार्मिक ग्रन्थ होते हुए भी ऐसा क्यों है | क्यूंकि कोई भी मनुष्य सही रूप से कर्म नहीं कर रहा है | सिर्फ दिखावे के लिए मनुष्य मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारे जाता है और सोचता है कि ईश्वर सिर्फ उस का कल्याण कर देगा |  जबकि संसार में कल्याण की कामना करना है तो मनुष्य को एक दूसरे की  सहायता , सेवा , प्रेम , सदभावना रखनी होगी | तभी सुख की प्राप्ति होगी |  धर्म और जाति की बेड़ियाँ छोड़कर आपस में एक दूसरे का ध्यान रखा जाये तो कष्ट अपने आप ही दूर होते दिखाई देंगे | 







 कोई भी धार्मिक कार्य को करते समय यह देखो कि कहीं उस कार्य से किसी को कष्ट तो नहीं है | और जांचना परखना भी बहुत जरुरी है कि जो भी धार्मिक कार्य हैं उनका कोई अर्थ है भी या नहीं |  धार्मिक कार्यों के स्थान पर मानव सेवा  या  जीव - जंतुओं को कष्टों से बचाया   जाये तो सुखद परिणाम सामने आते हैं |   देवताओं की ओर से जितने भी विधान बताये गए हैं वो मनुष्य को पापकर्म से मुक्त करने हेतु बताये गए हैं |  यदि पाप ही नहीं किया जाये तो कष्ट ही क्यों होगा और पूजा विधानों की आवश्यकता ही क्यों होगी | ईश्वर की प्रार्थना तो मन ही मन की जा सकती है |  समय दर समय मंदिरों में भीड़ बढ़ती जा रही है | क्यूंकि मनुष्य पाप कर्म ज्यादा करने में लगा है | और जब कष्ट प्राप्त होता है तो पूजा पाठ की ओर कदम बढ़ाता  है | संसार में धर्म जाति के नाम पर मौजूद भ्रमित करने वाली रीतियों रिवाजों को त्याग कर सही रूप से जीवन जीने की ओर कदम बढ़ाने होंगे |